Civil Judge Recruitment Case

हरियाणा सिविल जज भर्ती मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी निगाहें

Civil Judge Recruitment Case

Haryana Civil Judge Recruitment Case

Haryana Civil Judge Recruitment Case-चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I हरियाणा में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के 197 पदों पर जल्द भर्ती होनी है। भर्ती के अधिकार को लेकर फिलहाल मामला उलझा पड़ा है। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को हरियाणा कैबिनेट की बैठक में सैद्धांतिक तौर पर इस बात पर मुहर लग गई कि भर्ती प्रक्रिया एचपीएससी के जरिये ही कराई जाए। इसको लेकर सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई गई है।

सरकार को लगता है कि सिविल जज भर्ती में उसकी पावर घट गई है। पहले एचपीएससी के जरिये ही यह भर्तियां होती थी। बाद में इसकी भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया गया और हाईकोर्ट और राज्य सरकार की संयुक्त चयन समिति भर्ती का संचालन करने लगी।

सरकार दोबारा यह अधिकार हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) को देना चाहती है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 2007 के एक केस में दिये गए निर्णय को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है और सिविल जजों की भर्ती प्रक्रिया एचपीएससी से कराने की अपील कोर्ट से की है। मंगलवार को इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन अब केस इसी माह सुने जाने की आस है। नई भर्ती को लेकर हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेट्री से भी बातचीत की थी। चीफ सेक्रेट्री ने यह कहते हुए समय मांगा था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कैबिनेट में इस पर विचार किया जाना है। सूत्रों के अनुसार कैबिनेट में मंगलवार को बातचीत के बाद सैद्धांतिक तौर पर तय हुआ कि भर्ती पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा ही की जाना चाहिए। इस पर एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन से कानूनी राय ली गई। एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा से भी परामर्श किया गया। बलदेव राज महाजन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मामला निर्भर करेगा। मंगलवार को कोर्ट में तारीख थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई नहीं हो पाई, अब सुप्रीम कोर्ट पर ही भर्ती का मामला निर्भर करता है।  

पहले एचपीएससी के सुपुर्द थी भर्ती की कमान

उल्लेखनीय है कि पहले यह भर्तियां एचपीएससी ही कराता था। चौटाला सरकार के समय में एचपीएससी ने हाईकोर्ट के परामर्श से ही भर्तियां की थी। 2006-07 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद हुड्डा सरकार ने छह सदस्यीय चयन समिति के जरिये भर्ती की शुरुआत की। इसमें हाईकोर्ट के तीन जजों के अलावा, चीफ सेक्रेट्री, एडवोकेट जनरल व एचपीएससी का चेयरमैन शामिल किया गया। पिछली भर्तियों में जजों की संख्या तीन से छह हो गई। प्रश्न पत्र, आंसरशीट जांचने का काम भी हाईकोर्ट के पास आ गया। यह चयन समिति ही इंटरव्यू लेती है। एचपीएससी के पास केवल आवेदन लेने, सेंटर इत्यादि व सिंटिग व्यवस्था देखने का काम है। यहां बता दें कि सरकार को कहीं न कहीं लगता है कि सिविल जज भर्ती में उसकी पावर घटी है लिहाजा मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया है। हरियाणा में फिलहाल सिविल जजों की भर्ती पंजाब सिविल सर्विस (ज्यूडीशियरी) नियमों के अनुसार होती है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार सरकार अपने नियम बना सकती है लेकिन इस पर कोर्ट व एचपीएससी से परमिशन लेनी होगी। हरियाणा ने सिविल जज भर्ती के अपने नियम नहीं बनाए हैं।